रहस्य में वास्तविकता भी हो सकती है और निरर्थक एवं पथ भ्रष्टता भी ।।
2.
या प्रसन्न होना कुफ्र और पथ भ्रष्टता है ; क्योंकि यह क़ुरआन करीम, पवित्र सुन्नत और मुसलमानों
3.
' ' अपराध एक व्याधिकृत [PATHOLOGICAL] पथ भ्रष्टता [ABERRATION] है, अपराधी का साधारणतया उद्धार किया जा सकता है.
4.
इस बात में कोई शक नहीं कि इस का इक़रार करना और आस्था रखना या उस पर सहमत या प्रसन्न होना कुफ्र और पथ भ्रष्टता है ;
5.
तुम या तो एक ऐसी शरीअत पर चल रहे हो जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शरीअत से श्रेष्ठ है, या गुमराही (पथ भ्रष्टता) का द्वार खोल रहे हो।
6.
इस लिये कि अल्लाह सुब्हानहू ने तुम्हें बेकार (व्यर्थ) पैदा नहीं किया और न उस ने तुम्हें बे क़ैदोबन्द जिहालत व गुमराही (अज्ञान व पथ भ्रष्टता) में ख़ुला छोड़ दिया है।
7.
जिस के बाद वही सीधी राह से हटा हुआ, बिद्अत (अधर्म) की बातों पर फरेफ्ता (मुग्ध) और गुमराही (पथ भ्रष्टता) की तब्लीग़ (प्रचार) पर मिटा हुआ है।
8.
उन की गुमराहियों (पथ भ्रष्टता) का ज़माना बढ़ता ही रहा ताकि वह अपनी रुसवाईयों की तक्मील (निन्दा की पूर्ति) और सख्तियों (कठोरताओं) का इस्तेहक़ाक़ (पात्रता) पैदा कर लें।
9.
और धर्म में नयी ईजाद कर ली गयी चीज़ों (नवाचार) से बचो, क्योंकि धर्म में हर नई ईजाद कर ली गई चीज़ बिद्अत है, और हर बिद्अत गुमराही (पथ भ्रष्टता) है।
10.
बुद्धिजीवी हैं तो अपने ज्ञान का अपने लिए, दूसरों के लिए ऐसा प्रयोग करिये जिससे पथ भ्रष्टता, अनीति, छल, दुराव कपट, शोषण, भ्रम, अज्ञान और अशान्ति की वृद्धि न हो सके।